अच्छा पति प्राप्त करने का मंत्र | अच्छा पति पाने के लिए क्या करना चाहिए

अच्छा पति प्राप्त करने का मंत्र, टाइम और विधि 

अच्छा पति पाने के लिए क्या करना चाहिए

हर एक लड़की के माता-पिता अपनी बेटी की शादी खुशहाल घरानों में ही करना चाहते हैं। इसके अलावा हर माता पिता की यह तमन्ना रहती है कि उनका होने वाला दामाद बडा ही सुशिल, कुलिन और गुणवान हो। अपनी   कन्या के विवाह के लिये योग्य वर की प्राप्ति के माता पिता निमित्त प्रयासरत रहते हैं। किंतु, कभी-कभी ऐसा होता है कि अनेकों प्रयास करने पर भी वे अपनी जान से प्यारी बेटी के लिए उत्तम वर की तलाश नहीं कर पाते। हम आज इस आर्टिकल में अपनी बेटी के ब्याह के लिए फिक्रमंद तमाम माता पिता की परेशानियों को दुर करने वाला रामबाण इलाज बता रहे हैं। लेकिन यह उपाय विवाह योग्य कन्या को खुद करना होंगा।


 मनवांछित वर की प्राप्ति के लिए कन्या करें ये उपाय 


यदि किसी कन्या के विवाह में किसी भी कारण से विलंब हो रहा हो, या फिर बाधायें आ रही हों तो कन्या को स्वयं 21 दिनों तक लगातार बिना भूलें एक मंत्र का 108 बार पाठ करना चाहिए और पाठ के उपरांत इसी मंत्र के अंत में 'स्वाहा' शब्द लगाकर 11 आहुतियां यानी शुद्ध घी, शक्कर मिश्रित धूप से देना चाहिये। इस मंत्र के पाठ को दशांश हवन कहा जाता है।



कन्या को याद रहे कि उसे 108 बार पाठ का दसवां हिस्सा यानि 10.8 = 11 (ग्यारह) आहुतियां भी प्रतिदिन इक्कीस दिनों तक देना है। इस पूजा में सबसे अहम बात यह है कि कन्या को अपने घर में सबसे पवित्र  स्थान, समय और आसन को निश्चित कर लेना चाहिए। यानी कि यदि कोई कन्या पहले दिन प्रातः काल 9.00 बजे इस मंत्र का पाठ करती है तो 21 दिनों तक उसे प्रतिदिन 9.00 बजे ही इस पाठ आरंभ करना पड़ेगा। यदि प्रथम दिन घर की पूजा-स्थली में बैठकर पाठ शुरू किया है तो प्रतिदिन उसे वहीं बैठकर पाठ करना पड़ेगा। वैसे ही कन्या ने पाठ के प्रथम दिन जिस आसन पर बैठकर पूजा का आरंभ किया गया हो, उसी एक ही आसन को निर्धारित कर उसी पर बैठकर 21 दिनों तक पाठ करना है। अच्छा पति प्राप्त करने के मंत्र उपाय की सबसे महत्वपूर्ण बात यही है कि मंत्र पाठ का समय, स्थान और आसन बिल्कुल ही बदलना नहीं है और न ही लकड़ी के पटरे पर बैठकर पाठ करना है न ही आपको किसी पत्थर की शिला पर बैठकर पाठ करना है।


पाठ के पूर्व कुलदेवी का स्मरण करें


कन्या को चाहिए कि वह मंत्र कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नंदगोप सुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नमः॥ का जाप अपना पाठ समाप्त होने पर इसी मंत्र को पढ़ते हुए 'नमः' के स्थान पर 'नमस्वाहा' का उच्चारण करते हुए ग्यारह आहुतियां  दें दें। इस पाठ और इस विधि का पालन  का सच्चे दिल व संपूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करने वाली कन्या को दुर्गा देवी सुशील और संस्कारी वर का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। कन्या को चाहिए कि वह मंत्र पाठ की विधि के समय अपने समक्ष दुर्गा जी की मूर्ति या उनकी तस्वीर रखें। साथ ही कात्यायनी देवी का यंत्र मूर्ति के समक्ष लाल रेशमी कपड़े पर स्थापित करें और यंत्र और मूर्ति का सामान्य पूजन रोली, पुष्प, गंध, नैवेद्य इत्यादि से हघ करें। इस पाठ का जाप करने वाली कन्या 5 अगरबत्ती और धूप दीप जलाएं और मंत्र का 108 बार पाठ करें। पाठ के पूर्व कन्या को अपनी कुलदेवी का स्मरण बिना भूलें जरूर ही करना चाहिए।

दोस्तों मैं पिछले 4 साल से ब्लॉगिंग कर रहा हूं मुझे पढ़ना और लिखना बहुत पसंद है इसलिए मैं आप तक सही जानकारी देने की कोशिश करता हूं

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